२. सिख,गुरसिख और गुरमुख

इक ओंकार सत  नाम गुर्प्रसाद

क्या आप सिख है ? यां गुरसिख हैं यां गुरमुख है ? यां आप अपने नाम के साथ खालसा लगाना पसंद करते है यह सभी शब्द अदला बदली में इस्तेमाल होते हैं , परन्तु आध्‍यात्‍मि‍क दृष्टिकोण  से यह रूहानी यात्रा के अलग अलग चरण हैं ।

विस्तार में :

मनमुख : जिस को अपने सिवाए किसी से मतलब नहीं,  भगवन से भी नहीं

सिख : भगवान और गुरुओं में विश्वास रखने वाला, लेकिन ठोस प्रतिबद्धता (समर्पण) से भागने वाला

गुरसिख : भगवान के लिए आस्था रखने वाला , उदाहरण के तौर से : एक संत के मार्ग निर्देशन में चलने वाला और गुरबानी को समझके अपने जीवन में उतारने वाला

गुरमुख : जिस ने ५ दूतों को कब्जे में कर लिया हो, और खुद

गुरु के प्रकश में आ गया हो

इसके बारे में अधिक विस्तार से नीचे में पढ़ें ।

कुछ लेख एक प्रबुद्ध आत्मा से जो खुद एक गुरमुख बन गए है

और इन सभी चरणों से गुज़र चुके है -आपके चरणों की धूल  

सिख

एक सिख ऐसा व्यक्ति है जो

  • सच्चाई के पथ पर चलने का फैसला लेता है
  • मोक्ष प्राप्ति पर चल पड़ा है
  • जनम और मृतु के चक्र से निकलना चाहता है
  • गुरु और अकाल पुरख को मिलना चाहता है

गुरसिख से गुरमुख बनने की तरफ और आखिर में पूरण आ‍ध्यात्मिकता के पथ पर चल चुका है जो उसको सच खंड(भगवान का सबसे उत्तम खंड) तक ले  जायेगा

सिख वह है जिसने

  • अपने पंचों दूतों पर काबू पा लिया हो (काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार )
  • आसा,तृष्णा,मनसा ,चुगली,निंदिया और बघिली पर काबू पा लिया हो
  • माया के चक्र से बाहर हो
  • अपने अहम पर विजय प्राप्त कर ली हो और एक विनम्र व्यक्ति बन गया हो
  • अपनी दुविधा  पर विजय
  • दोगली जीवन छोड़ कर सच्चाई में संविलीन हो गया हो
  • सारी सृष्टि और सभी जीव जंतुओं से प्यार करने वाला
  • कभी नफरत की भाषा ना  बोलने वाला
  • सभी को सिर्फ प्यार और स्नेह देने वाला
  • दूसरों के दुःख में शामिल होने वाला
  • गरीब और दलित लोगों की मदद करने वाला
  • पूरी तरह से गुरु के प्रति समर्पण
  • सच्चाई के मार्ग पर चलने वाला और गुरसिख  बनने वाला

अध्यात्मिक रूप से सिख वह इंसान है जो जपजी साहिब में लिखे हुआ तीन रूहानी स्थानों में मौजूद है

धरम खंड-धर्म को चलाने का स्थान , ज्ञान खंड -रूहानी ज्ञान का स्थान, और सरम खंड – गंभीर रूप से आत्म सुधार के प्रयास करने का स्थान

जो अपने आप को भगवान् का सिख कहलाता है , पूरण गुरु

सुप्रभात गुरु और भगवन के नाम का सिमरन करता है

वह सुप्रभात नहाता है

अपने आप को शुद्ध और निर्मल करता है

गुरु के दिखाए हुआ मार्ग पर, भगवान् का नाम सिमरन करता है

सभी पापों, दुष्कर्म और नकारात्मकता मिटाता  है

फिर उगते हुआ सूरज की किरणों में वह गुरबानी गायेगा

नीचे बैठे या खड़े, वह भगवान के नाम पर ध्यान करता है

वह जो मेरे भगवन के नाम सिमरन हर 

अपनी एक एक सांस और एक एक रोटी के टुकड़े के संग करता है

वही गुरसिख भगवान् का प्यारा है –  SGGS

गुरसि‍ख

जब एक व्यक्ति आध्यात्मिक सीढ़ी पर चलता रहता है और गुरु और अकाल पुरख द्वारा धन्य होकर चौथा आध्यात्मिक क्षेत्र (करम खंड ) में पहुँच जाता है तो वह व्यक्ति एक गुरसिख हो जाता है । 

गुरसिख – का मतलब है , अकाल पुरख के एक सच्चे सेवक "गुर" का अर्थ "अकाल पुरख और ‘सिख" का अर्थ है एक सच्चे सेवक  एक सिख वह व्यक्ति है जो एक शुद्ध और पवित्र दिल (हृदा ) बनने के लिए प्रतिबद्ध है ।

अकाल पुरख ही सच है. सतनाम ही सत्य है पार ब्रह्म परमेश्वर ही सत्य है

बाकी सब कुछ  विनाशवान है और जीवन और मृत्यु के चक्र में  फसा है ।

इसलिए, एक गुरसिख वह व्यक्ति है, जो

  • सत्य कार्य करता है
  • पूरी तरह से सच्चा इंसान बनने की कोशिश कर रहा है – पूरन सच्यारा
  • आध्यात्मिक स्तर पर खुद भी ऊपर है और दूसरों को भी ऊपर उठाता है

उदारण के लिए ,यदि एक आम इंसान एक गुरसिख के चरणों की धूल लेता है और गुरसिख की संगत करता है तो वह भी गुरसिख बन जाता है।

 अंत में उसे भी मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है -जीवन मुक्त , वह भी जीवन और मृत्यु   के चक्र से निकल जाता है ।

इसी कारण श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी हमें ऐसे व्यक्ति को साष्‍टांग प्रणाम करने को कहते है जिस में एक गुरसिख की सभी खूभियाँ है।

 ऐसे व्यक्ति को साष्‍टांग प्रणाम करने से हमारा अहंकार गिरता है और हमें और अधिक विनम्रता की और ले जाता है ।

जो भी व्यक्ति इस ब्रह्म ज्ञान पर चलता है वह

  • गुरसिख की संगत करेगा
  • उन गुरसिख को प्रणाम करेगा
  • खुद एक गुरसिख बन जायेगा
  • मन से विनम्र हो जायेगा
  • अपने मन और हिरदा की ऊंची अवस्था पायेगा
  • जीवन मुक्त हो जायेगा

इसलिये , जो गुरसिख सत्य के मार्ग पर चल रहे हो , उन्हें हमेशा साष्‍टांग प्रणाम  करना चाहिए . यहाँ हममे दुविधा या कोइ संकोच अपने मन में नहीं लाना चाहिए. गुरबानी का यही मार्ग है ।

जो जिज्ञासु अपनी मन की दुविधा को खत्म करता हैं ,,वही जीवन मुक्त हो सकता हैं।

गुरमुख

गुरमुख की अवस्था गुरसिख की अगली स्तर है , यह एक बहुत ऊंची अवस्था हैं. गुरमुख एक ऐसा इंसान हैं जो

  • अपने गुरु को पूर्णतया समर्पित हो जाता हैं , गुरु के आदेश को पूरी तरह से अपने जीवन में अनुसरण करता हैं ।
  • पूरी तरह से सच की गवाही देता है ।
  • जिसका हिरदा और मन सतनाम से लबालब हो जाता है।
  • जिसका हिरदा बिना किसी प्रयास के और लगातार सतनाम सिमरन में डूबा रहता है ।
  • सतनाम जिसके हर रोम रोम में समा गया है ।
  • जिसका हृदय प्रभु की ज्योत से प्रकाशित है ।
  • जिसे गुरु और पारब्रह्म ने सचखंड में जगह दे दी है ।
  • जो एक सच्चा इंसान बन गया है।
  • अपने गुरु की आज्ञा और हुकम की पूरी पालना करता है ।

 

गुरमुख अपने प्रभु को रोम रोम से याद करता है। –    SGGS page 941 

इसीलिए जब एक गुरमुख

  • अपनी भगती सचखंड में करता है ।
  • गुरु और परब्रह्म उसको एक सच्चे इंसान की पदवी देते हें और वह इंसान सच की सेवा करने के लिए तैयार होता है।
  • जिसने अपने पांच दूतो पर विजय प्राप्त कर ली है ( काम, क्रोध ,लोभ, मोह, अहंकार , आसा , मनसा , चुगली, बगीली) ।
  • जिसने अपने सांसारिक मोह पर विजय प्राप्त कर ली है।
  • जिसने माया पर विजय प्राप्त कर ली है ।
  • इस मार्ग की सभी परिछायें पास कर ली  , अतः प्रभु दुआरा स्वीकार कर लिया गए है ।

 

तब उस इंसान को प्रभु

  • जीवन मुक्त की पदवी देते है
  • संत की पदवी देते है और पूरण ब्रह्मज्ञान की किरपा करते है

इस तरह गुरमुख के पास आत्मिक हिरदा , जिसे संत हिरदा भी कहा जाता है ऐसा संत ईस्वर में पूरी तरह मिल जाता है ।

ऐसे इंसान को प्रभु परम पदवी दे देते है जिसे गुर गोबिंद सिंह जी खालसा कहते है

इस अवस्था में प्रभु के संत सिर्फ

  • सच की सेवा
  • सतनाम की सेवा
  • अकाल पुरख
  • गुरु
  • गुर संगत के सेवा

 

दास आप सभ के चरणों में अरदास करता है की आप आत्म मंथन करे और ऊपर लिखे ज्ञान के सामने अपनी आत्मिक अवस्था को परखे ।

इससे आपको आगे मार्ग दर्शन मिलेगा ।  अगर आप की अवस्था सिख की है तो आप गुरसिख बनने का प्रयास करे ।

अगर आपकी अवस्था गुरसिख की है तो आप गुरमुख बनने का प्रयास करे । इसी तरह जो गुरमुख अवस्था में नाम जप रहे है वेह जीवन मुक्त बनने का प्रयास करे ।

जो जीवन मुक्त अवस्था में है उन्हें सच की, अकाल पुरख की, गुरु की , और गुर संगत की सेवा करनी चाहिये ।

इस तरह जब हम दिल से आत्मिक प्रगति के लिए प्रयास करते हैं ,,तब प्रभु और गुरु की किरपा से हम सफल हो पाते है ।

इससे यह धरती , यह समाज और देश की भी भलाई होती हैं और संसार में प्यार फेलता है ।

दासन दास